बाल विकास का अर्थ एवं प्रकृति, अभिवृद्धि और विकास

 

 

                                       Ashish Singh, Assistant Professor ,Department of Education

D.El.Ed.I SEMESTER  EDU-01

बाल विकास का अर्थ (Meaning of Child development)

बाल विकास (Child Development) एक सतत और गतिशील प्रक्रिया है, जिसमें जन्म से लेकर किशोरावस्था तक बच्चों के शारीरिक, मानसिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं में क्रमिक परिवर्तन होते हैं। यह विकास केवल शारीरिक वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें बच्चे के सोचने, समझने, भावनाओं को व्यक्त करने, भाषा सीखने और सामाजिक संबंध स्थापित करने की क्षमताएँ भी शामिल होती हैं।

बाल विकास इस बात को समझने में सहायता करता है कि बच्चे किस प्रकार अपने परिवेश से सीखते हैं और उसमें समायोजित होते हैं।

बाल विकास की प्रक्रिया कई कारकों से प्रभावित होती है। इनमें प्रमुख रूप से आनुवंशिकता (genetics), पारिवारिक वातावरण, सामाजिक परिवेश, शिक्षा और पोषण शामिल हैं। आनुवंशिक गुण बच्चे की शारीरिक विशेषताओं, बौद्धिक क्षमता और कुछ हद तक उसके व्यक्तित्व को निर्धारित करते हैं, जबकि बाहरी कारक जैसे माता-पिता का पालन-पोषण, स्कूल का माहौल और समाज के नियम-मान्यताएँ उसके व्यवहार और मानसिक विकास को आकार देते हैं।

वृद्धि (Growth):

बाल विकास में वृद्धि (Growth) का आशय शरीर में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों से है, जिनमें लंबाई, वजन, हड्डियों की मजबूती, अंगों का आकार और शरीर की अन्य भौतिक विशेषताएँ शामिल हैं। यह एक जैविक और मात्रात्मक (Quantitative) प्रक्रिया है, जिसका मापन किया जा सकता है।

वृद्धि (Growth) और विकास (Development) को प्रायः समानार्थी समझा जाता है, लेकिन इनमें स्पष्ट अंतर होता है। वृद्धि केवल शारीरिक परिवर्तनों को संदर्भित करती है, जबकि विकास (Development) में मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक बदलाव भी शामिल होते हैं।

वृद्धि की परिभाषाएँ (Definitions of Growth)

  1. हार्लॉक (Hurlock, 1959):
    "वृद्धि का अर्थ शरीर के विभिन्न भागों में आकार, संरचना और रूपात्मक परिवर्तनों से है, जो मापने योग्य होते हैं।"
  2. क्रो और क्रो (Crow & Crow, 1962):
    "वृद्धि का तात्पर्य शरीर के विभिन्न अंगों में आकार और संरचना में होने वाली स्थायी और मात्रात्मक वृद्धि से है।"
  3. वेबस्टर डिक्शनरी (Webster Dictionary):
    "वृद्धि वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी जीवित प्राणी की भौतिक विशेषताओं में वृद्धि होती है, विशेष रूप से उसका आकार और संरचना।"

 वृद्धि की विशेषताएँ

  1. मात्रात्मक प्रकृतिवृद्धि को वजन, ऊँचाई, सिर की परिधि आदि के रूप में मापा जा सकता है।
  2. एक दिशा में होने वाली प्रक्रियायह सामान्यतः जन्म से किशोरावस्था तक एक निश्चित क्रम में होती है।
  3. असमान दर पर होती हैशिशु अवस्था में वृद्धि की गति अधिक होती है, जबकि बाल्यावस्था और किशोरावस्था में इसकी गति अलग-अलग होती है।
  4. आनुवंशिकी से प्रभावित होती हैमाता-पिता के शारीरिक गुण बच्चे की वृद्धि को प्रभावित करते हैं।
  5. पर्यावरणीय कारकों पर निर्भरपोषण, स्वास्थ्य, व्यायाम और भावनात्मक वातावरण भी वृद्धि की दर को प्रभावित करते हैं।

 

 बाल्यावस्था में वृद्धि के चरण

1. गर्भकालीन वृद्धि (Prenatal Growth) – गर्भधारण से जन्म तक

  • गर्भावस्था के दौरान ही भ्रूण की शारीरिक संरचना का विकास शुरू हो जाता है।
  • इस दौरान पोषण और माता के स्वास्थ्य का बच्चे की वृद्धि पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

2. शैशवावस्था (Infancy) – जन्म से 2 वर्ष तक

  • जन्म के समय औसतन शिशु का वजन 2.5 से 3.5 किलोग्राम और लंबाई 50 सेंटीमीटर होती है।
  • पहले वर्ष में शिशु का वजन तीन गुना बढ़ जाता है, और लंबाई में भी 25 से 30 सेंटीमीटर तक वृद्धि होती है।
  • इस चरण में हड्डियाँ मजबूत होती हैं, और तंत्रिका तंत्र तेजी से विकसित होता है।





  • 3. बाल्यावस्था (Early Childhood) – 2 से 6 वर्ष तक इस अवस्था में वृद्धि की गति शैशवावस्था की तुलना में धीमी हो जाती है।बच्चे की लंबाई और वजन धीरे-धीरे बढ़ते हैंऔर दाँतों का विकास होता है।इस समय मांसपेशियाँ मजबूत होती हैंऔर मोटर कौशल जैसे दौड़नाकूदना और संतुलन बनाना विकसित होते हैं।
  • 4. मध्य बाल्यावस्था (Middle Childhood) – 6 से 12 वर्ष तक
  • इस अवस्था में वृद्धि की दर स्थिर होती हैलेकिन शरीर की संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं।
  • बच्चों की लंबाई में धीरे-धीरे वृद्धि होती हैऔर वजन बढ़ने लगता है।
  • इस उम्र में संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियाँ वृद्धि के लिए आवश्यक होती हैं।5. किशोरावस्था (Adolescence) – 12 से 18 वर्ष तक
  • इस अवस्था में वृद्धि की गति पुनः तेज हो जाती हैजिसे Growth Spurt कहते हैं।
  • लड़कों और लड़कियों में शारीरिक परिवर्तन अलग-अलग होते हैंजैसे कि लड़कों में मांसपेशियों का विकास और लड़कियों में शारीरिक संरचना में परिवर्तन।
  • हार्मोनल परिवर्तन शरीर की वृद्धि को प्रभावित करते हैं।

  • वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक


  • आनुवंशिकता (Genetics): माता-पिता के गुण बच्चे की लंबाईवजन और वृद्धि दर को निर्धारित करते हैं।
  • पोषण (Nutrition): संतुलित आहारजिसमें प्रोटीनविटामिनखनिज और ऊर्जा देने वाले तत्व होंवृद्धि के लिए आवश्यक है।
  • स्वास्थ्य और रोग (Health & Diseases): किसी भी प्रकार की दीर्घकालिक बीमारी या संक्रमण वृद्धि को प्रभावित कर सकता है।
  • हार्मोन (Hormones): वृद्धि हार्मोनथायरॉइड हार्मोन और अन्य जैविक कारक शरीर की वृद्धि को नियंत्रित करते हैं।
  • पर्यावरण (Environment): बच्चे के रहने का माहौलस्वच्छतास्वास्थ्य सेवाएँ और भावनात्मक वातावरण वृद्धि को प्रभावित करते हैं।
  • शारीरिक गतिविधि (Physical Activity): व्यायाम और खेल-कूद मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती में सहायक होते हैं।
  • मनोवैज्ञानिक कारक (Psychological Factors): माता-पिता की देखभालभावनात्मक सहयोग और सामाजिक समर्थन भी वृद्धि पर प्रभाव डालते हैं।


 वृद्धि का मापन (Measurement of Growth)

वृद्धि को निम्नलिखित मापदंडों के आधार पर आंका जाता है:

  1. ऊँचाई (Height): इसे सेंटीमीटर या फीट में मापा जाता है।
  2. वजन (Weight): इसे किलोग्राम में मापा जाता है।
  3. सिर की परिधि (Head Circumference): यह मस्तिष्क के विकास को दर्शाता है।
  4. हड्डी की उम्र (Bone Age): यह एक्स-रे द्वारा निर्धारित की जाती है और शरीर की वृद्धि का अनुमान लगाने में मदद करती है।

बाल विकास में "विकास" (Development) का अर्थ और परिभाषाएँ

बाल विकास में विकास (Development) का तात्पर्य शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक (Cognitive) क्षमताओं में होने वाले क्रमिक और सतत परिवर्तनों से है। यह मात्रात्मक (Quantitative) और गुणात्मक (Qualitative) दोनों प्रकार के परिवर्तनों को शामिल करता है। विकास केवल शरीर की वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सोचने, समझने, महसूस करने और सामाजिक व्यवहार को भी प्रभावित करता है।

विकास एक सतत और क्रमिक प्रक्रिया है, जो जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक चलती रहती है। प्रत्येक बच्चे का विकास उसकी आनुवंशिकता, पर्यावरण और शिक्षा के आधार पर अलग-अलग गति से होता है।

विकास की परिभाषाएँ (Definitions of Development)

  1. जे. पी. गिलफोर्ड (J.P. Guilford)
    "विकास का अर्थ किसी व्यक्ति में उम्र के साथ होने वाले क्रमबद्ध और संगठित परिवर्तनों से है, जो उसके व्यवहार और कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं।"
  2. एलिजाबेथ हरलोक (Elizabeth Hurlock)
    "विकास का तात्पर्य एक क्रमबद्ध परिवर्तन से है, जो व्यक्तित्व की विभिन्न विशेषताओं में सुधार लाता है और जिसे मात्रात्मक रूप से नहीं मापा जा सकता।"
  3. क्रो और क्रो (Crow & Crow)
    "विकास में व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व का परिपक्व होना शामिल होता है, जिसमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक पहलू आते हैं।"




विकास की विशेषताएँ

 

  सतत प्रक्रिया: जन्म से मृत्यु तक विकास होता रहता है।

  1. क्रमिक और व्यवस्थित: विकास एक पूर्वनिर्धारित क्रम में होता है, जैसे—बच्चा पहले बैठना सीखता है, फिर खड़ा होता है और फिर चलता है।
  2. मिश्रित गति: विकास की गति समान नहीं होती; कभी यह तेजी से होता है, तो कभी धीमा।
  3. व्यक्तिगत अंतर: हर बच्चे का विकास दर अलग-अलग होता है।
  4. अंतःसंबंधित पहलू: शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास आपस में जुड़े होते हैं।
  5. प्रभावित करने वाले कारक: विकास को आनुवंशिकता, पर्यावरण, पोषण, शिक्षा, समाज और संस्कृति प्रभावित करते हैं।

विकास के प्रकार

  1. शारीरिक विकास (Physical Development): शरीर की संरचना, लंबाई, वजन, मांसपेशियों और अंगों का विकास।
  2. मानसिक विकास (Cognitive Development): सोचने, समझने, तर्क करने और समस्या सुलझाने की क्षमता का विकास।
  3. सामाजिक विकास (Social Development): समाज में दूसरों के साथ बातचीत करने और संबंध बनाने की क्षमता।
  4. भावनात्मक विकास (Emotional Development): अपनी भावनाओं को पहचानना, समझना और नियंत्रित करना।
  5. भाषाई विकास (Language Development): भाषा सीखने और संवाद करने की क्षमता।

विकास को प्रभावित करने वाले कारक

  • आनुवंशिकता (Genetics): माता-पिता से मिलने वाले गुण।
  • पर्यावरण (Environment): घर, स्कूल, समाज और संस्कृति।
  • पोषण (Nutrition): संतुलित आहार विकास को प्रभावित करता है।
  • शिक्षा (Education): सीखने के अवसर मानसिक और सामाजिक विकास को बढ़ाते हैं।
  • मनोवैज्ञानिक कारक (Psychological Factors): आत्मविश्वास, प्रेरणा और भावनात्मक समर्थन।


वृद्धि (Growth) और विकास (Development) में अंतर

 

क्रम सं.

वृद्धि (Growth)

विकास (Development)

1.

वृद्धि का तात्पर्य शरीर के आकार, ऊँचाई, वजन, अंगों की लंबाई आदि में वृद्धि से है।

विकास का अर्थ शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक परिवर्तनों से है।

2.

यह मात्रात्मक (Quantitative) प्रक्रिया है, जिसे नापा जा सकता है।

यह गुणात्मक (Qualitative) प्रक्रिया है, जिसे मापना कठिन होता है।

3.

वृद्धि केवल शरीर की संरचना तक सीमित होती है।

विकास शारीरिक के साथ-साथ मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं को भी शामिल करता है।

4.

वृद्धि सीमित अवधि तक होती है (मुख्य रूप से बचपन और किशोरावस्था तक)।

विकास जन्म से मृत्यु तक लगातार होता रहता है।

5.

यह आनुवंशिक और पोषण संबंधी कारकों पर निर्भर करता है।

विकास में आनुवंशिकता, पर्यावरण, शिक्षा, समाज और अनुभवों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

6.

वृद्धि बाहरी रूप से दिखाई देने वाले परिवर्तनों को दर्शाती है।

विकास बाहरी और आंतरिक दोनों परिवर्तनों को दर्शाता है, जैसे कि सोचने और समझने की क्षमता।

7.

वृद्धि का प्रभाव केवल शरीर के किसी विशेष भाग पर हो सकता है।

विकास पूरे व्यक्तित्व और संपूर्ण जीवन प्रक्रिया को प्रभावित करता है।

8.

वृद्धि रुक सकती है जब शरीर अपनी परिपक्व अवस्था तक पहुँच जाता है।

विकास जीवन भर जारी रहता है, क्योंकि मानसिक और सामाजिक बदलाव हमेशा होते रहते हैं।

9.

उदाहरण: बच्चे की ऊँचाई और वजन का बढ़ना।

उदाहरण: बच्चे की भाषा सीखने की क्षमता, भावनात्मक परिपक्वता, और सामाजिक व्यवहार में सुधार।

10.

वृद्धि का प्रभाव अधिकतर जैविक (Biological) होता है।

विकास जैविक, मनोवैज्ञानिक (Psychological) और सामाजिक (Social) कारकों का मिश्रण होता है।

 



विकास के सिद्धांत (Principles of Development)

विकास एक सतत और व्यवस्थित प्रक्रिया है, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है। यह प्रक्रिया कुछ निश्चित सिद्धांतों पर आधारित होती है, जो यह निर्धारित करते हैं कि किसी व्यक्ति का विकास कैसे और किस दिशा में होगा। नीचे विकास के प्रमुख सिद्धांतों को विस्तृत रूप से बताया गया है:


 1. विकास सतत प्रक्रिया है (Development is a Continuous Process)

विकास जन्म से मृत्यु तक लगातार जारी रहता है। यह कोई रुकने वाली या एक बार में होने वाली प्रक्रिया नहीं है, बल्कि धीरे-धीरे होने वाले परिवर्तन का परिणाम है। उदाहरण के लिए, एक बच्चा पहले चलना सीखता है, फिर दौड़ना, फिर संतुलित तरीके से चलने की कला विकसित करता है। इस प्रक्रिया में कभी-कभी तेजी आती है और कभी यह धीमी हो जाती है, लेकिन यह कभी रुकती नहीं है।

2. विकास क्रमबद्ध एवं दिशा-विशिष्ट होता है (Development is Sequential and Directional)

विकास एक निश्चित क्रम और दिशा में आगे बढ़ता है। यह दो प्रमुख दिशाओं में होता है:

  • Cephalocaudal Direction (शीर्ष से पैर की ओर) – पहले सिर और मस्तिष्क का विकास होता है, फिर शरीर के अन्य हिस्से विकसित होते हैं।
  • Proximodistal Direction (केंद्र से बाहरी अंगों की ओर) – पहले शरीर का मध्य भाग विकसित होता है और फिर बाहरी अंगों (हाथ-पैर) का विकास होता है। हर बच्चे के विकास में यह क्रम समान होता है, लेकिन गति में भिन्नता हो सकती है।

3. विकास की गति व्यक्ति-व्यक्ति में भिन्न होती है (Rate of Development Varies from Person to Person)

हर व्यक्ति का विकास एक समान गति से नहीं होता। कुछ बच्चे तेजी से शारीरिक या मानसिक विकास करते हैं, जबकि कुछ का विकास धीमी गति से होता है। यह अंतर आनुवंशिकता, पोषण, और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, एक बच्चा जल्दी बोलना सीख सकता है जबकि दूसरा देर से, लेकिन दोनों सामान्य हो सकते हैं।

4. विकास एकीकृत प्रक्रिया है (Development is an Integrated Process)

विकास के विभिन्न पहलू—शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक—आपस में जुड़े होते हैं। यदि किसी क्षेत्र में बदलाव होता है, तो वह अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, बच्चे के भाषा कौशल में सुधार होने से उसका सामाजिक विकास भी होता है। इसी प्रकार, यदि बच्चा स्वस्थ रहेगा तो उसका मानसिक और शैक्षिक विकास भी बेहतर होगा।

5. विकास के विभिन्न आयाम होते हैं (Development Occurs in Different Dimensions)

विकास केवल शारीरिक परिवर्तन तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसमें संज्ञानात्मक (बुद्धि संबंधी), सामाजिक (व्यक्तित्व निर्माण), भावनात्मक (संवेदनशीलता), और नैतिक (सही-गलत की समझ) विकास भी शामिल होते हैं। ये सभी आयाम एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और परस्पर प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, एक आत्मविश्वासी बच्चा बेहतर सामाजिक संबंध बना सकता है।

6. विकास एक धीमी एवं तेज गति से होता है (Development is Sometimes Rapid and Sometimes Slow)

विकास की गति हमेशा एक समान नहीं होती। कुछ अवस्थाओं में यह तेजी से होता है, जैसे बचपन और किशोरावस्था में, जबकि कुछ अवस्थाओं में यह धीमा हो जाता है, जैसे वयस्कता में। उदाहरण के लिए, जन्म से पाँच वर्ष तक शारीरिक विकास तेजी से होता है, लेकिन इसके बाद यह गति थोड़ी धीमी हो जाती है।




 7. विकास अधिगम (Learning) पर निर्भर करता है (Development Depends on Learning)

बच्चे के विकास में सीखने की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अच्छी शिक्षा, परिवार का सहयोग, और अनुकूल वातावरण बच्चे के मानसिक और सामाजिक विकास को तेज कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक बच्चा जो पढ़ने-लिखने के अधिक अवसर प्राप्त करता है, वह दूसरों की तुलना में अधिक ज्ञान अर्जित कर सकता है।

8. विकास उत्तराधिकार (Heredity) और वातावरण (Environment) के प्रभाव से होता है (Development is Influenced by Heredity and Environment)

विकास में आनुवंशिक गुण और बाहरी पर्यावरण दोनों महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक बच्चे की लंबाई, त्वचा का रंग, और आंखों की बनावट उसके माता-पिता से मिलती है, लेकिन उसका व्यवहार, भाषा, और सोचने का तरीका वातावरण से प्रभावित होता है। यदि बच्चे को सकारात्मक वातावरण मिले, तो उसके व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास संभव होता है।

9. प्रारंभिक अनुभव विकास को प्रभावित करते हैं (Early Experiences Influence Development)

शैशवावस्था में मिलने वाले अनुभव व्यक्ति के भविष्य के विकास पर प्रभाव डालते हैं। अगर बच्चा अच्छे सामाजिक और भावनात्मक माहौल में बड़ा होता है, तो उसका आत्मविश्वास बेहतर होता है और वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होता है। इसके विपरीत, नकारात्मक अनुभव बच्चे के आत्म-सम्मान और सीखने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।

10. विकास में व्यक्तिगत अंतर होते हैं (Individual Differences in Development)

हर व्यक्ति के विकास में भिन्नता होती है। कोई बच्चा जल्दी बोलना सीखता है, तो कोई देर से; कोई शारीरिक रूप से तेजी से विकसित होता है, तो किसी का विकास धीमा होता है। यह अंतर जैविक और सामाजिक कारकों के कारण होते हैं। इसलिए, बच्चों की तुलना करना उचित नहीं होता, क्योंकि प्रत्येक बच्चा अपनी अनूठी गति से विकसित होता है।

11. विकास एक जटिल प्रक्रिया है (Development is a Complex Process)

विकास केवल शरीर में परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह मस्तिष्क, भावनाओं, सामाजिक आदतों, और नैतिक मूल्यों से भी जुड़ा हुआ है। उदाहरण के लिए, जब बच्चा स्कूल जाता है, तो न केवल उसका ज्ञान बढ़ता है, बल्कि वह अनुशासन और सामाजिक कौशल भी सीखता है। इसलिए, संपूर्ण विकास के लिए विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है।

12. विकास प्रतिवर्ती नहीं होता (Development is Irreversible)

विकास की प्रक्रिया हमेशा आगे बढ़ती है और पीछे नहीं जाती। एक बच्चा जो चलना सीख जाता है, वह फिर से रेंगने की अवस्था में नहीं लौटता। इसी तरह, मानसिक और संज्ञानात्मक विकास भी पीछे नहीं जाता, बल्कि नए अनुभवों के साथ समृद्ध होता है। यदि किसी कारण से विकास में बाधा आती है, तो उसे पूरी तरह से ठीक करना कठिन होता है।

 बाल विकास अध्ययन के मुख्य उद्देश्य

बाल विकास अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि बच्चे के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक पक्षों में समय के साथ किस प्रकार परिवर्तन होते हैं। इसके अंतर्गत निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है:

 

 

  1. विकासात्मक अवस्थाओं के बीच परिवर्तन को समझना – जन्म से किशोरावस्था तक बच्चे की शारीरिक बनावटव्यवहारसोचने की क्षमता और गति (मोटर स्किल्स) में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।
  2. परिवर्तन के समय का निर्धारण – यह जानने का प्रयास किया जाता है कि कौन-सा विकासात्मक परिवर्तन कब होता हैजैसे बच्चे के बोलनेचलनेभावनाएं व्यक्त करने या सामाजिक रूप से जुड़ने की समय-सीमा क्या होती है।
  3. परिवर्तन को प्रभावित करने वाली परिस्थितियाँ – यह अध्ययन किया जाता है कि पर्यावरणपरिवारशिक्षापोषणसंस्कृति और आनुवंशिकता जैसे कौन-कौन से कारक बाल विकास को प्रभावित करते हैं।
  4. व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन – यह समझने का प्रयास किया जाता है कि विकासात्मक परिवर्तन बच्चे के संज्ञानात्मक (सोचने-समझने), सामाजिक (अन्य लोगों से बातचीतऔर संवेगात्मक (भावनाओं को व्यक्त करनेव्यवहार को कैसे प्रभावित करते हैं।
  5. परिवर्तनों की भविष्यवाणी करना –यह पता लगाने का प्रयास किया जाता है कि बाल विकास के विभिन्न चरणों में होने वाले परिवर्तनों का अनुमान लगाया जा सकता है या नहीं। इससे बच्चों की शिक्षा और परवरिश को सही दिशा में विकसित किया जा सकता है।
  6. व्यक्तिगत और सामान्य विकास को समझना – यह देखा जाता है कि कौन विकासात्मक परिवर्तन सभी बच्चों में समान रूप से होते हैं और कौन-से परिवर्तन व्यक्तिगत विशेषताओं के आधार पर भिन्न होते हैं।


 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


 


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